MA Semester-1 Sociology paper-III - Social Stratification and Mobility - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2683
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की खुली एवं बन्द व्यवस्था में गतिशीलता का वर्णन कीजिए तथा दोनों में अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

सामाजिक स्तरीकरण की खुली व्यवस्था में गतिशीलता
(Mobility in Open System of Stratification)

स्तरीकरण की खुली व्यवस्था को एक आकांक्षाकारी व्यक्ति की गतिशीलता द्वारा वर्णित किया जाता है। गतिशीलता को निरुत्साहित किया जाता है। दोनों व्यवस्थाओं में ऊपर की ओर गतिशीलता के लिए लोगों द्वारा प्रयास किए जाते हैं। दूसरे शब्दों में, जो लोग आगे बढ़ना चाहते हैं, और नए पद स्थानों पर अपने दावों की घोषणा करते हैं, या उन लोगों के पद-स्थानों पर दावा करते हैं, जिनको विशेषाधिकार प्रस्थिति और सम्मान प्राप्त है। खुली व्यवस्था में, गतिशीलता द्वारा अधिक अन्तर और विभेदीकरण उभरते हैं और दावेदार इस प्रवृत्ति को न्यायोचित ठहराते हैं। गुप्ता का सोच है कि "एक खुले स्तरीकरण की व्यवस्था या श्रेणी विभेदीकरण के अनुपालन द्वारा आगे बढ़ सकता है।” स्तरीकरण की खुली व्यवस्था में, 'सोपान स्थिर और दृढ़ हो सकता है, परन्तु व्यक्ति सोपान में ऊपर उठ सकते हैं या नीचे भी आ सकते हैं।' यदि एक व्यक्ति अपने जीवन काल में उच्च पदों के लिए योग्यताएँ अर्जित कर लेता है तो वह एक संगठन / कार्यालय/उद्योग में अपने वर्तमान निम्न पद / स्थान से ऊपर उठ सकता है।

गतिशीलता स्तरीकरण की खुली व्यवस्था का एक मान्य लक्षण ऐसी व्यवस्था में, प्रायः क्षितिजीय गतिशीलता घटित होती हैं, जिससे व्यवस्था के वैचारिक/ संरचनात्मक आधार को कोई चुनौती या खतरा नहीं होता है। इस तरह, व्यवस्था बनी रहती और व्यक्ति क्षितिजीय रूप से ऊपर या नीचे होते रहते हैं। गतिशीलता सदैव व्यक्ति के स्तर पर, बल्कि सामूहिक तौर पर या पूरे परिवार के आधार पर पूरी की जाती है। "स्तरीकरण की खुली व्यवस्था में, सोपान ही एक मात्र चर होना चाहिए, ताकि इस चर में संख्यात्मक अन्तरों को एक श्रेणीक्रम में मापा जा सके।” ऐसी गतिशीलता या श्रेणियों द्वारा स्तरीकरण व्यवस्था में स्पष्ट अन्तर घटित नहीं होते हैं। एक निरन्तर सोपान में व्यवसाय, शिक्षा, स्कूल का अध्ययन, आवास, आय का स्रोत आदि विभिन्न कारक हो सकते हैं, जो संख्यात्मक और मापनीय हैं। एल. वार्नर और उसके साथियों ने एक समुचित सूची बनाकर अमेरिकन लोगों को उच्च मध्यम वर्ग, निम्न उच्च मध्यम वर्ग, उच्च वर्ग और निम्न-निम्न वर्ग में स्तरीकृत किया है। वार्नर और उसके साथियों द्वारा अलग-अलग व विभिन्न व्यवसायों और शिक्षा, आदि को मापने की चयनित कसौटियों से चाहे कोई सहमत न हो, परन्तु यह सही है कि दौलत, शक्ति या भूस्वामित्व बहुत अधिक संख्यात्मक और मापनीय हैं। " स्तरीकरण की एक खुली व्यवस्था अन्ततः अत्यन्त तब होती है, जब गतिशलता और वर्ग प्रस्थिति को एकमात्र संख्याजनक चर पर रखा जा सकता है।" एक खुली व्यवस्था जटिल बन जाती है, जब इसके ऊपर बेतालमेल योग्य अन्तरों के तत्वों को थोप दिया जाता है।

सामाजिक स्तरीकरण की बन्द व्यवस्था में गतिशीलता
(Mobility in Closed System of Stratification)

स्तरीकरण की बन्द व्यवस्था में जाति, प्रजाति, धर्म, सजातीयता आदि प्रमुख विचारणीय पहलु हैं। इस तरह की व्यवस्था में प्रदत्त लक्षणों को बहुत महत्व दिया जाता है लेकिन ऐसे लक्षणों पर सदैव में संख्या/चिह्न लगाया जाता है और वो विवादित होते हैं। एक खुली व्यवस्था में संख्या/ तादाद मुख्य मापदण्ड होता है, जबकि स्तरीकरण की बन्द व्यवस्था में गुणवत्ता निर्णयकारी कसौटी होती है, बन्द व्यवस्था में जातियों / प्रजातियों जैसे समूहों के लोगों के बीच विभेदों पर बल दिया जाता है। अन्तर और सोपान दोनों ऐसी व्यवस्था को चरितार्थ करते हैं। दोनों से व्यवस्था कठोर होती है। इसलिए गतिशीलता एक कठिन क्रिया हो जाती है। भारत की कठोर जाति व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए अनेक गतिशीलता आन्दोलन हुए हैं।

दीपांकर गुप्ता के अनुसार, स्तरीकरण की अन्तरों पर ही सोपान निर्मित है। अन्तर मूलतः बेमेलजोलकारी और अश्रेणी योग्य होते हैं, इसलिए लम्बरूपी गतिशीलता में बहुत अधिक बाधाएँ आती हैं।

स्तरीकरण की एक बन्द व्यवस्था में, सोपान में उन सब लोगों की भागीदारी / सहमति नहीं होती है जो उससे जुड़े हुए हैं। "मुख्य कारण यह है कि एक व्यक्ति बजाय, एक समूह या एक उप-समूह को उच्च और निम्न के रूप में श्रेणीकृत किया जाता है। इसके कारण गतिशीलता विरली और कठिन सम्भावना है और यदि यह घटित भी होती है तो यह मापनीय /संख्यात्मक नहीं हो पाती। जाति और प्रजाति जैसे स्तरीकरण की बन्द व्यवस्थाओं में गतिशीलता एक आम प्रघटना से बहुत दूर की बात हैं।

एक बन्द व्यवस्था कभी भी पूर्णतः स्थिर नहीं रही है और न ही एक खुली व्यवस्था एक बन्द व्यवस्था के बिल्कुल विपरीत है। कभी-कभी, एक खुली व्यवस्था में, परिवर्तन और गतिशीलता के विरोध की प्रवृत्ति विकसित हो जाती है, और इसी तरह, बहुत तेज ताकतों और दबावों के कारण, एक बन्द व्यवस्था भी परिवर्तन और गतिशीलता की ओर झुकती है। प्राचीन और मध्य युगों में, जाति व्यवस्था को भी चुनौती दी गई थी, और इसमें व्यवस्थापन और गतिवाद दृष्टिगत हुआ था। आज अन्तराजातीय सम्बन्ध जो जाति व्यवस्था के धरातल में थे, वे लुप्त हो गए हैं। खान-पान के बन्धन भी लगभग समाप्त हो चुके हैं। विवाह के नियम कमजोर हो रहे हैं, लेकिन जाति अस्मिताएँ, गैर-जाति कारणों से दृढ़तर हो रही हैं। इस प्रकार, सामाजिक स्तरीकरण की बन्द और खुली व्यवस्थाएँ एक-दूसरे के विपरीत नहीं हैं, दोनों सापेक्षिक हैं, एक में दूसरे के कुछ लक्षण हैं।

स्तरीकरण की बन्द और खुली व्यवस्थाओं में अन्तर

 

खुली व्यवस्था बन्द व्यवस्था
1. गतिशीलता एक मान्य प्रघटना है। 1. गतिशीलता को कठोरता से हतोत्साहितकिया जाता है।
2. व्यक्ति ऊपर उठता है और नीचे आता है। 2. समूह श्रेणीकरण की इकाई है।
3. सोपान स्थिर और दृढ़ हो सकते हैं, परन्तु व्यक्ति ऊपर उठते हैं। 3. जन्म आदि प्रदत्त कारकों द्वारा सोपान निर्धारित होता है। व्यक्तियों के लिए ऊपर उठना कठिन होता है
4. सोपानीकरण प्राकृतिक (स्वाभाविक ) है। 4. जातियों, प्रजातियों, सम्प्रदायों आदि से सोपानीकरण बनता है।
5. अन्तर और सोपान दोनों सिद्धान्त महत्वपूर्ण हैं।

 

 

5. अन्तर का सिद्धान्त महत्वपूर्ण है।
6. अमेरिका में वर्ग स्तरीकरण, खुली व्यवस्था का एक उदाहरण है। 6. भारत में जाति स्तरीकरण, बन्द व्यवस्था का उदाहरण है।
7. सोपान निरन्तर है। 7. सोपान स्थिर और प्रदत्त है।
8. यह सरल है। 8. यह जटिल है।
9. इसमें गति तेज है। 9. गतिशीलता धीमी है, और उसमें कठिनाइयाँ भी हैं।
10. व्यवस्था में श्रेणियाँप्रमुख हैं।

 

10. सम्बन्ध व्यवस्था को चरितार्थ करते हैं।

 

 

 

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण क्या है? सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  2. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की क्या आवश्यकता है? सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों को स्पष्ट कीजिये।
  3. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण को निर्धारित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  4. प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण किसे कहते हैं? सामाजिक स्तरीकरण और सामाजिक विभेदीकरण में अन्तर बताइये।
  5. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण से सम्बन्धित आधारभूत अवधारणाओं का विवेचन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के सम्बन्ध में पदानुक्रम / सोपान की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- असमानता से क्या आशय है? मनुष्यों में असमानता क्यों पाई जाती है? इसके क्या कारण हैं?
  8. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के स्वरूप का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  9. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के अकार्य/दोषों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  10. प्रश्न- वैश्विक स्तरीकरण से क्या आशय है?
  11. प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण की विशेषताओं को लिखिये।
  12. प्रश्न- जाति सोपान से क्या आशय है?
  13. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता क्या है? उपयुक्त उदाहरण देते हुए सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- सामाजिक वातावरण में परिवर्तन किन कारणों से आता है?
  16. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की खुली एवं बन्द व्यवस्था में गतिशीलता का वर्णन कीजिए तथा दोनों में अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- भारतीय समाज में सामाजिक गतिशीलता का विवेचन कीजिए तथा भारतीय समाज में गतिशीलता के निर्धारक भी बताइए।
  18. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता का अर्थ लिखिये।
  19. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के पक्षों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  20. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  21. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के मार्क्सवादी दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  22. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण पर मेक्स वेबर के दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  23. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की विभिन्न अवधारणाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  24. प्रश्न- डेविस व मूर के सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यवादी सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  25. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  26. प्रश्न- डेविस-मूर के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  27. प्रश्न- स्तरीकरण की प्राकार्यात्मक आवश्यकता का विवेचन कीजिये।
  28. प्रश्न- डेविस-मूर के रचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिये।
  29. प्रश्न- जाति की परिभाषा दीजिये तथा उसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये।
  30. प्रश्न- भारत में जाति-व्यवस्था की उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  31. प्रश्न- जाति प्रथा के गुणों व दोषों का विवेचन कीजिये।
  32. प्रश्न- जाति-व्यवस्था के स्थायित्व के लिये उत्तरदायी कारकों का विवेचन कीजिये।
  33. प्रश्न- जाति व्यवस्था को दुर्बल करने वाली परिस्थितियाँ कौन-सी हैं?
  34. प्रश्न- भारतवर्ष में जाति प्रथा में वर्तमान परिवर्तनों का विवेचन कीजिये।
  35. प्रश्न- जाति व्यवस्था में गतिशीलता सम्बन्धी विचारों का विवेचन कीजिये।
  36. प्रश्न- वर्ग किसे कहते हैं? वर्ग की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था के रूप में वर्ग की आवधारणा का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अंग्रेजी उपनिवेशवाद और स्थानीय निवेश के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में उत्पन्न होने वाले वर्गों का परिचय दीजिये।
  39. प्रश्न- जाति, वर्ग स्तरीकरण की व्याख्या कीजिये।
  40. प्रश्न- 'शहरीं वर्ग और सामाजिक गतिशीलता पर टिप्पणी लिखिये।
  41. प्रश्न- खेतिहर वर्ग की सामाजिक गतिशीलता पर प्रकाश डालिये।
  42. प्रश्न- धर्म क्या है? धर्म की विशेषतायें बताइये।
  43. प्रश्न- धर्म (धार्मिक संस्थाओं) के कार्यों एवं महत्व की विवेचना कीजिये।
  44. प्रश्न- धर्म की आधुनिक प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिये।
  45. प्रश्न- समाज एवं धर्म में होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिये।
  46. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में धर्म की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
  47. प्रश्न- जाति और जनजाति में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  48. प्रश्न- जाति और वर्ग में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- स्तरीकरण की व्यवस्था के रूप में जाति व्यवस्था को रेखांकित कीजिये।
  50. प्रश्न- आंद्रे बेत्तेई ने भारतीय समाज के जाति मॉडल की किन विशेषताओं का वर्णन किया है?
  51. प्रश्न- बंद संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
  52. प्रश्न- खुली संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
  53. प्रश्न- धर्म की आधुनिक किन्हीं तीन प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये।
  54. प्रश्न- "धर्म सामाजिक संगठन का आधार है।" इस कथन का संक्षेप में उत्तर दीजिये।
  55. प्रश्न- क्या धर्म सामाजिक एकता में सहायक है? अपना तर्क दीजिये।
  56. प्रश्न- 'धर्म सामाजिक नियन्त्रण का प्रभावशाली साधन है। इस सन्दर्भ में अपना उत्तर दीजिये।
  57. प्रश्न- वर्तमान में धार्मिक जीवन (धर्म) में होने वाले परिवर्तन लिखिये।
  58. प्रश्न- जेण्डर शब्द की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- जेण्डर संवेदनशीलता से क्या आशय हैं?
  60. प्रश्न- जेण्डर संवेदशीलता का समाज में क्या भूमिका है?
  61. प्रश्न- जेण्डर समाजीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- समाजीकरण और जेण्डर स्तरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- समाज में लैंगिक भेदभाव के कारण बताइये।
  64. प्रश्न- लैंगिक असमता का अर्थ एवं प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- परिवार में लैंगिक भेदभाव पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- परिवार में जेण्डर के समाजीकरण का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  67. प्रश्न- लैंगिक समानता के विकास में परिवार की भूमिका का वर्णन कीजिये।
  68. प्रश्न- पितृसत्ता और महिलाओं के दमन की स्थिति का विवेचन कीजिये।
  69. प्रश्न- लैंगिक श्रम विभाजन के हाशियाकरण के विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- महिला सशक्तीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- पितृसत्तात्मक के आनुभविकता और व्यावहारिक पक्ष का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  72. प्रश्न- जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी पितृसत्ता से क्या आशय है?
  73. प्रश्न- पुरुष प्रधानता की हानिकारकं स्थिति का वर्णन कीजिये।
  74. प्रश्न- आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है?
  75. प्रश्न- महिलाओं की कार्यात्मक महत्ता का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- सामाजिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता का वर्णन कीजिये।
  77. प्रश्न- आर्थिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता की स्थिति स्पष्ट कीजिये।
  78. प्रश्न- अनुसूचित जाति से क्या आशय है? उनमें सामाजिक गतिशीलता तथा सामाजिक न्याय का वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- जनजाति का अर्थ एवं परिभाषाएँ लिखिए तथा जनजाति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- भारतीय जनजातियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्गों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- जनजातियों में महिलाओं की प्रस्थिति में परिवर्तन के लिये उत्तरदायी कारणों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- सीमान्तकारी महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु किये जाने वाले प्रयासो का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- अल्पसंख्यक कौन हैं? अल्पसंख्यकों की समस्याओं का वर्णन कीजिए एवं उनका समाधान बताइये।
  85. प्रश्न- भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति एवं समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- सीमान्तिकरण अथवा हाशियाकरण से क्या आशय है?
  88. प्रश्न- सीमान्तकारी समूह की विशेषताएँ लिखिये।
  89. प्रश्न- आदिवासियों के हाशियाकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- जनजाति से क्या तात्पर्य है?
  91. प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या कीजिये।
  92. प्रश्न- अस्पृश्य जातियों की प्रमुख निर्योग्यताएँ बताइये।
  93. प्रश्न- अस्पृश्यता निवारण व अनुसूचित जातियों के भेद को मिटाने के लिये क्या प्रयास किये गये हैं?
  94. प्रश्न- मुस्लिम अल्पसंख्यक की समस्यायें लिखिये।

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